TTJ NEWS: छत्तीसगढ़ में पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग ने पकड़ा जोर
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य पत्रकार महासंघ और न्यूज़ हब इनसाइट केयर फाउंडेशन ने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बड़ा कदम उठाते हुए केंद्रीय मंत्री और विधायकों से मुलाकात करने की योजना बनाई है। पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमलों और हत्याओं के मामलों ने प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग को तेज कर दिया है।
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हालात चिंताजनक: पत्रकारों पर बढ़ते हमले
- हाल ही में बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या ने पूरे पत्रकार समाज को झकझोर कर रख दिया है।
- पत्रकार महासंघ का कहना है कि यह घटनाएं न केवल दुखद हैं, बल्कि प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती हैं।
- महासंघ ने चेतावनी दी है कि यदि इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो पत्रकारों की आवाज को दबाने की कोशिशें और तेज हो सकती हैं।
मुलाकात का उद्देश्य
केंद्रीय मंत्री तोखन साहू और बिलासपुर के प्रमुख विधायकों (सर्व श्री अमर अग्रवाल, धरम लाल कौशिक, धरमजीत सिंह, सुशांत शुक्ला, दिलीप लहरिया, अटल श्रीवास्तव) के साथ होने वाली इस बैठक में निम्नलिखित बिंदु उठाए जाएंगे:
- पत्रकारों के लिए सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करना।
- धमकियों, हिंसा और अन्य खतरों से पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कानून बनाना।
- पत्रकार सुरक्षा कानून का मसौदा पेश करना।
पत्रकार महासंघ और फाउंडेशन का बयान
- विनय मिश्रा, पंकज खंडेलवाल, राजेंद्र कश्यप, और उमाकांत मिश्रा ने कहा कि पत्रकारों को अपने कर्तव्यों का पालन करते समय कई जोखिमों का सामना करना पड़ता है।
- उन्होंने कहा कि पत्रकार सुरक्षा कानून केवल एक आवश्यकता नहीं, बल्कि लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक है।
कड़े शब्दों में चेतावनी
- महासंघ ने साफ किया है कि यह मांग केवल कागजों तक सीमित नहीं रहेगी।
- जब तक पत्रकार सुरक्षा कानून लागू नहीं होता, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।
पत्रकारों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम
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बिंदु | विवरण |
---|---|
मुख्य मांग | पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करना |
प्रमुख बैठक | केंद्रीय मंत्री और विधायकों से मुलाकात |
संबंधित अधिकारी | विनय मिश्रा, पंकज खंडेलवाल |
घटनाओं की संख्या | बीजापुर में मुकेश चंद्राकर की हत्या |
उम्मीद और एकजुटता
छत्तीसगढ़ के पत्रकारों को उम्मीद है कि इस पहल से उनकी सुरक्षा को लेकर सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे। महासंघ और फाउंडेशन ने कहा कि पत्रकार समाज अपनी आवाज बुलंद करेगा और इस संघर्ष को अंतिम परिणाम तक पहुंचाएगा।
निष्कर्ष
पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर छत्तीसगढ़ में यह पहल न केवल आवश्यक है, बल्कि प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी एक चुनौती है। पत्रकारों पर हो रहे हमलों के बीच यह कानून लागू करना समय की मांग है।
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