Chhattisgarh News: सरकारी अस्पताल में चिकन-राइस पार्टी का मामला, सुरक्षा पर सवाल, 3 गिरफ्तार
Chhattisgarh News गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर छत्तीसगढ़ के गौरेला पेंड्रा मरवाही के जिला अस्पताल में एक अप्रत्याशित घटना ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया।

जिला अस्पताल में 15 अगस्त के दिन मरीजों और उनके परिजनों को चिकन और चावल बांटे जाने का मामला सामने आया है। इस घटना ने न केवल अस्पताल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि स्थानीय हिन्दू संगठनों ने भी इसका कड़ा विरोध किया। इसमें छत्तीसगढ़ से रिलेटेड हरेक प्रकार की न्यूज़ शेयर किया जाता है इसलिए TTJNEWS के SOCIAL MEDIA से जुड़े रहिये।
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Chhattisgarh News: अस्पताल में चिकन-राइस बांटने पर मचा बवाल
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जब जिला प्रशासन गुरूकुल मैदान में स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहा था, उसी दौरान जिला अस्पताल में कुछ लोग एक गाड़ी में खाने-पीने का सामान लेकर पहुंचे। उन्होंने अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों को चिकन-राइस बांटना शुरू किया। जब कुछ लोगों ने देखा कि अस्पताल में नॉनवेज खाना बांटा जा रहा है, तो उन्होंने इसका विरोध किया। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया।
सीएमएचओ और हिन्दू संगठनों का विरोध
घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन हरकत में आया। सीएमएचओ रामेश्वर शर्मा ने तत्काल अस्पताल पहुंचकर मामले की जांच की और अस्पताल के स्टाफ से घटना की जानकारी ली। हिन्दू संगठनों, विशेषकर बजरंग दल, ने इस घटना पर अपनी नाराजगी जाहिर की और सीएमएचओ के सामने इस पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। मामले की गंभीरता को देखते हुए गौरेला थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराई गई और एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया।
पुलिस ने की त्वरित कार्रवाई, 3 गिरफ्तार
गौरेला पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और आरोपियों की पहचान की। पुलिस ने गौरेला के एकता नगर निवासी ओबेश खान, पेंड्रा के मोहम्मद शहाबुद्दीन, और गौरेला के सखर फारूखी को बीएनएस एक्ट की प्रतिबंधात्मक धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों को 21 अगस्त तक के लिए जेल भेज दिया गया है।
सुरक्षा पर उठे सवाल और प्रशासन की जवाबदेही
इस घटना ने सरकारी अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्वतंत्रता दिवस जैसे महत्वपूर्ण दिन पर अस्पताल में इस तरह की गतिविधियों का होना, प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है। अस्पताल में सुरक्षा की जिम्मेदारी जिन कर्मचारियों पर थी, उनकी निष्क्रियता के कारण यह घटना हुई। इस मामले में जिला प्रशासन की भूमिका और उनके त्वरित निर्णय की भी प्रशंसा की जानी चाहिए, लेकिन सुरक्षा की चूक को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
निष्कर्ष
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के जिला अस्पताल में हुई यह घटना एक बड़ी चूक है, जो न केवल सुरक्षा पर सवाल उठाती है, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक संवेदनशीलता को भी चुनौती देती है। इस मामले में हुई गिरफ्तारियां और जांच से उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं और अस्पतालों की सुरक्षा को और भी मजबूत किया जाए।